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Agricultural Subsidy

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

वर्तमान में संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध है। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदते हैं, तो इस पर उन्हें 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। मध्य प्रदेश की राज्य सरकार किसान भाइयों की आमदनी में इजाफा करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी कर रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत किसान भाइयों की खेती करने की तकनीक वैज्ञानिक रूप धारण कर गई है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में कृषकों को कृषि यंत्रों पर अच्छा-खासा अनुदान भी दिया जा रहा है। परंतु, फिलहाल रीवा और सतना जनपद के किसानों के लिए काफी अच्छी खुशखबरी है। यहां के कृषकों को सुपर सीडर मशीन खरीदने के लिए अच्छा-खासा अनुदान प्रदान किया जा रहा है। 

सुपर सीडर किसानों के लिए काफी उपयोगी साबित होता है

मीडिया खबरों के अनुसार, सुपर सीडर एक ऐसा यंत्र है, जिसको ट्रैक्टर के साथ जोड़कर खेती-बाड़ी करने के कार्य में लिया जाता है। इस यंत्र का सर्वाधिक इस्तेमाल फसलों की बुवाई करने हेतु किया जाता है। इसके इस्तेमाल से नरवाई की दिक्कत परेशानी दूर हो चुकी है। अब ऐसी स्थिति में गेहूं एवं चने की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर यंत्र बेहद उपयोगी साबित होता है। 

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सुपर सीडर के उपयोग से नरवाई जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि किसी फसल के डंठल को नरवाई कहा जाता है। सुपर सीडर धान एवं गेहूं की डंठल को छोटे- छोटे भागों में विभाजित कर मृदा में मिला देता है। अब ऐसी स्थिति में सुपर सीडर मशीन से फसलों की बिजाई करने वाले कृषकों को नरवाई को आग के जरिए जलाना नहीं पड़ता है। इससे प्रदूषण पर भी रोक लगती है। 

सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा

फिलहाल, संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध हैं। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदेंगे तो 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। मुख्य बात यह भी है, कि यह यंत्र एक घंटे में एक एकड़ भूमि में फैले नरवाई को चौपट कर देती है। इसके पश्चात फसलों की बिजाई करती है। धान के उपरांत गेहूं एवं गेंहू के बाग मूंग की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर किसी वरदान से कम नहीं है। किसान भाई सुपर सीडर के माध्यम से वर्षभर में अच्छी-खासी आमदनी की जा सकती है। वैसे तो सुपर सीडर की कीमत लगभग 3 लाख रुपये है। परंतु, कृषि विभाग की तरफ से 40 प्रतिशत प्रतिशत अनुदान मिलने के पश्चात इसकी कीमत काफी हद तक कम हो जाती है।

कृषि सब्सिडी : किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता के बारे में जानें

कृषि सब्सिडी : किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता के बारे में जानें

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान आज भी बहुत बड़ा है और भारत की ग्रामीण जनसंख्या का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा, मुख्यतया कृषि पर ही निर्भर है। 2021 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार कृषि और उससे जुड़े हुए सेक्टर, भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद यानी की जीडीपी (GDP - Gross Domestic Product) में 18% योगदान देते है। आजादी के समय यह अनुपात 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत के बीच में था। विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों और नई तकनीकों की मदद तथा भारत सरकार के सकारात्मक अप्रोच और कृषि क्षेत्र में युवा किसानों की बढ़ती भागीदारी की वजह से, आने वाले समय में यह सेक्टर अच्छी उत्पादकता की ओर अग्रसर होता नजर आ रहा है। इसी उत्पादकता को सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार और कुछ राज्य सरकारें किसानों को सब्सिडी के रूप में कुछ सहायता प्रदान करती है

क्या है कृषि सब्सिडी (Agricultural Subsidy) ?

किसी भी निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार के द्वारा किसानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता सब्सिडी के अंतर्गत आती है।यह वित्तीय सहायता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानों तक पहुंचाई जाती है। वित्त आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के किसानों के द्वारा प्रति हेक्टेयर जमीन से प्राप्त होने वाली आय में 21 प्रतिशत योगदान सरकार के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का होता है।

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कौन देता है भारत में कृषि सब्सिडी ?

भारतीय किसानों को स्थानीय राज्य सरकारों के अलावा मुख्यतः भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाती है, लेकिन अप्रत्यक्ष सब्सिडी के तौर पर केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्रालय तथा कॉमर्स मंत्रालय के द्वारा भी सहायता दी जाती है। भारत में दी जाने वाली सब्सिडी पूर्णतया सरकार के द्वारा ही तय होती है, यदि बात करें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दी जाने वाली सब्सिडी की तो इन्हें मुख्यतः विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) के द्वारा नियंत्रित किया जाता है और अलग-अलग देशों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर सब्सिडी देने में छूट प्रदान की गई है। वर्तमान में भारत विश्व व्यापार संगठन में एक विकासशील देश की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है, इसी वजह से भारत को विकसित देशों की तुलना में अधिक सब्सिडी देने के लिए छूट दी गई है।

भारत सरकार के द्वारा दी जाने वाली अलग-अलग प्रकार की सब्सिडी :

हरित क्रांति के समय से ही भारत सरकार के द्वारा किसानों को आर्थिक सहयोग के तौर पर सब्सिडी दी जा रही है और इस क्रांति के दौरान बुवाई किए गए उच्च उत्पादकता वाले बीजों के बेहतर उत्पादन के लिए पानी और उर्वरकों के रूप में भारतीय किसानों को सब्सिडी देने की शुरुआत की गई थी। वित्त आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी को निम्न प्रकार से विभाजितकिया जा सकता है :-

  • उर्वरक पर दी जाने वाली सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) :

भारतीय कृषि को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने लायक बनाने के लिए किसानों को सस्ती दर पर रासायनिक उर्वरकों को उपलब्ध करवाने के लिए सरकार के द्वारा फर्टिलाइजर सब्सिडी की शुरुआत की गई थी। यह सब्सिडी मुख्यत: उर्वरक उत्पादक कंपनियों को प्रदान की जाती है, जो कि किसानों को सस्ते दामों पर यूरिया और डीएपी उपलब्ध करवाती है। इस सब्सिडी की मदद से कृषि में कच्चे माल के रूप में होने वाले खर्चे कम हो जाते है और पूरे भारत में उर्वरकों की एक समान कीमत बनी रहती है।

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सरकार के द्वारा किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी में फर्टिलाइजर सब्सिडी का योगदान सर्वाधिक है। वर्तमान में भारत सरकार कुछ सूक्ष्म उर्वरक जैसे कि नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के अलावा जिंक तथा आयरन जैसे रासायनिक उर्वरकों पर भी फर्टिलाइजर सब्सिडी उपलब्ध करवा रही है।

  • सीधे हस्तांतरण के तहत दी जाने वाली सब्सिडी (Direct Benefit transfer subsidy) :

 2019 में शुरू की गई है प्रत्यक्ष स्थानांतरण सब्सिडी वर्तमान में भारत के सभी किसानों को सीधे नकद राशि उपलब्ध करवाकर प्रदान की जाती है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (PM-KISAN) के तहत हर किसान भाई को 6000 रुपए सालाना उपलब्ध करवाए जाते है। केंद्र सरकार के द्वारा प्रायोजित इस स्कीम में शुरुआत में लघु और सीमांत किसानों को ही शामिल किया गया था। खेती की सामान्य जरूरतमंद आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए शुरू की गई यह स्कीम भारत की किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प के रूप में उपलब्ध हुई है।

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  • बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी ( Power Subsidy) :

आधुनिक कृषि के दौर में मशीनीकरण की वजह से इस्तेमाल होने वाले पावर पंप और दूसरी इलेक्ट्रिक मशीनों के लिए सरकार के द्वारा किसानों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध करवाई जाती है।

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 मुख्यतः बिजली का इस्तेमाल सिंचाई की प्रक्रिया के दौरान होता है। यह सब्सिडी बिजली उत्पादक डिस्कोम कंपनियों को दी जाती है, जोकि बिजली की सामान्य रेट की तुलना में किसानों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध करवाती है। स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड और भारत की कई बड़ी सरकारी कंपनी के द्वारा किसानों को इस तरह की सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है।

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कृषि अनुसंधान कार्यों में तेजी लाने के लिए सरकार के द्वारा कृषि वैज्ञानिकों को प्रत्यक्ष सहायता प्रदान करने के अलावा, किसान भाइयों के लिए उच्च उत्पादकता प्रदान करने वाले बीजों (High yielding seed) की व्यवस्था भी सरकार के द्वारा सीड सब्सिडी के तहत ही की जाती है। इन बीजों को बहुत ही कम दर पर उपलब्ध करवाने पर किसान भाई आसानी से अपने खेत में होने वाले लागत को कम कर पाते है। एक अप्रत्यक्ष सब्सिडी के तौर पर सरकार के द्वारा बीज उत्पादन करने वाली कंपनियों को प्रदान की जाने वाली यह सब्सिडी कम्पनियों  की बीज विनिर्माण लागत को कम करती है और स्वतः ही बाजार में सस्ते बीज उपलब्ध हो पाते हैं।

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  • निर्यात पर दी जाने वाली सब्सिडी (Export Subsidy) :

भारत शुरुआत से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है और इसी वजह से भारत में तैयार कृषि को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में शुरुआत से ही एक अलग पहचान मिली हुई है, परंतु पिछले कुछ समय से कई देशों में कृषि क्षेत्र में बढ़ते अनुसंधान कार्यों और नई खोजों के बाद भी भारतीय कृषि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए सरकार के द्वारा निर्यात पर सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी किसी किसान या फिर कृषि उत्पादों से जुड़ी निर्यात कंपनी को दी जाती है। इस सब्सिडी का फायदा यह होता है कि इससे भारत में विदेशी धन आने के अलावा स्थानीय स्तर पर किसानों के द्वारा मुनाफा कमाया जा सकता है, हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात में दी जाने वाली सब्सिडी को विश्व व्यापार संघ के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के तहत ही दिया जा सकता है।

  • लोन पर दी जाने वाली सब्सिडी (Credit Subsidy ) :

यह बात तो हम जानते ही है कि भारतीय कृषि क्षेत्र में लघु और सीमांत किसान बहुत ही अधिक संख्या में है। ऐसे किसानों के पास बुवाई और खेती की शुरुआत करने के लिए छोटे क्षेत्र की जमीन तो होती है, परंतु शुरुआत में आने वाली लागत के लिए आर्थिक व्यवस्था नहीं होती है, इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार के द्वारा किसान भाइयों को ऋण पर सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिसे क्रेडिट सब्सिडी भी कहा जाता है।

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बैंक के द्वारा एक सामान्य ग्राहक के तौर पर लगायी जाने वाली ब्याज दर पर सरकार के द्वारा कुछ प्रतिशत ब्याज दर स्वयं के द्वारा जमा करवायी जाती है, इसे इंटरेस्ट सब्वेंशन (Interest subvention)  के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत किसान भाइयों को ब्याज ऋण अदायगी में सरकार के द्वारा अच्छी सब्सिडी उपलब्ध करवाई गई है। इस प्रकार की ऋण व्यवस्था में किसान भाइयों को किसी भी प्रकार की संपार्श्विक (collateral) जमा करवाने की आवश्यकता नहीं होती है और बड़ी ही आसानी से ग्रामीण क्षेत्रों के किसान भी कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों तथा बीज और दूसरे कच्चे माल के लिए कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकते है।

  • कृषि उपकरणों पर दी जाने वाली सब्सिडी (Agriculture Equipment Subsidy) :

भारत सरकार के द्वारा अलग-अलग स्कीम के तहत किसान भाइयों को कृषि में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की खरीद के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह सब्सिडी मुख्यतः उपकरण की खरीद के बाद किसान भाइयों को उनके बैंक खाते में सीधे हस्तांतरण के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाती है।

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 अलग-अलग राज्य सरकारें अपना योगदान मिलाकर भारत सरकार के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी में सहयोग प्रदान कर सकती है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में विनिर्माण (Infrastructure) से जुड़े कार्यों को पूर्ण करने के लिए भारत सरकार के द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाती है। इस तरह की सब्सिडी की मदद से किसान भाइयों को तैयार कृषि उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह पर स्थानांतरित करने के लिए इस्तेमाल में होने वाले वाहन तथा कोल्ड स्टोरेज हाउस बनाने के लिए राशि उपलब्ध करवाई जाती है। 

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कैसे प्राप्त करें कृषि सब्सिडी और आवश्यक योग्यताएं ?

यदि किसी सब्सिडी के लिए लघु, सीमांत और बड़े किसानों के लिए आवश्यक योग्यताएं अलग-अलग है तो इसके लिए आपको अलग से कृषि मंत्रालय या फिर दूसरे मंत्रालय (जो कि सब्सिडी को उपलब्ध करवा रहा है) कि वेबसाइट पर जाकर अपना निशुल्क पंजीकरण करवाना होगा। यदि बात करें इन सब्सिडी में अलग-अलग योग्यताओं की तो कई प्रकार की सब्सिडी केवल लघु और सीमांत किसानों के लिए ही उपलब्ध है, ऐसी सब्सिडी प्राप्त के लिए स्थानीय प्रशासन के द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के साथ किसान सेवा केंद्र में जाकर पंजीकरण करवाना होगा।आय और दूसरे कई आधारों पर दी जाने वाली सब्सिडी के तहत भी अलग से रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होगी। मुख्यतः खाते में सीधे हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer) के तहत मिलने वाली सब्सिडी के दौरान ही इस तरह के पंजीकरण की आवश्यकता होती है, अप्रत्यक्ष रूप से मिलने वाली सब्सिडी सभी किसान भाइयों के लिए उपलब्ध होती है।

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कृषि सब्सिडी की मदद से किसान भाइयों को होने वाले फायदे :

वर्तमान समय की प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था में भारतीय कृषि को संपन्न बनाने के पीछे कृषि क्षेत्र में दी जाने वाली सब्सिडी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, इन्हीं सब्सिडी की मदद से भारतीय किसान स्वयं की जरूरतें तो पूरी करता ही है, साथ ही तैयार कृषि उत्पादों को आसानी से बेचकर मुनाफा भी कमा सकता है। इन कृषि सब्सिडी की मदद से खेती की शुरुआत में आने वाली प्रारंभिक लागत में काफी कमी हो जाती है। वित्त आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि भारतीय किसान को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सब्सिडी उपलब्ध ना करवाई जाए तो उनके खेत से प्राप्त होने वाला मुनाफा 50 प्रतिशत तक कम हो सकता है। किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम की मदद से उपलब्ध करवाए जाने वाले सस्ते लोन किसानों की खेती में इस्तेमाल होने वाली आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के अलावा एक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में भी सहायक साबित हुए है।

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आशा करते है कि हमारे किसान भाइयों को Merikheti.com के माध्यम से भारत सरकार और राज्य सरकारों के द्वारा कृषि से जुड़ी हुई सब्सिडी के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी, साथ ही इन सब्सिडी के लिए योग्यता तथा इनके लिए पंजीकरण कराने की प्रक्रिया का भी पता चल गया होगा। यही उम्मीद है कि भविष्य में आप भी सरकार के द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही सब्सिडी का इस्तेमाल कर अपने खेत की उत्पादकता को बढ़ाने के साथ ही मुनाफे में भी बढ़ोतरी कर पाएंगे।

कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन

कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन

जब से बिहार में सरकार बदली है, उसके बाद से नीतिश कुमार छात्रों ही नहीं, किसानों पर भी बड़े मेहरबान नजर आ रहे हैं। खेती में मशीनों का इस्तेमाल आज कल बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि इनके उपयोग से ही किसान अपना ज्यादा काम कम समय में कर पाते हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने कृषि मशीनों पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। इस सब्सिडी का असर ये होगा कि जो किसान ज्यादा लागत की मशीन खरीदने में सक्षम नहीं हैं, वे भी इन्हें खरीद पाएंगे। गौर करने वाली बात है कि सरकार यह सब्सिडी 90 प्रकार की कृषि में इस्तेमाल होने वाली मशीनों पर दे रही है। सब्सिडी वाली मशीनों के लिए एप्लिकेशन प्रोसेस भी शुरू हो गया है। इच्छुक किसान इसके लिए 31 दिसंबर तक एप्लिकेशन दे सकते हैं


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इस योजना की शुरुआत बिहार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने की है। इस योजना का नाम कृषि यंत्रीकरण है। इसी योजना के अंतर्गत सरकार ने कृषि मशीनों पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वे किस तरह की मशीनें हैं जिन पर सब्सिडी दी जा रही है, तो आपको बता दें कि इसके लिए कटाई, सिंचाई, गुडाई, निराई गन्ना और बागवानी से जुड़ी मशीनें शामिल हैं। अगर आपको इन सारी मशीनों की लिस्ट चाहिए और सब्सिडी के बारे में विस्तार से जानना है, तो आपको OFMAS पोर्टल (OFMAS - Online Farm Mechanization Application Software) पर जाना होगा। यहां आपका पूरा ब्योरा मिल जाएगा।

इस योजना को लेकर बिहार के कृषि विभाग ने ट्वीट किया था, जिसमें पूरा ब्योरा बताया गया था

लेकिन इस बीच गौर करने वाली बात है कि जो लोग पहले अप्लाई करेंगे तो उन्हें लाभ पहले मिलेगा, क्योंकि यह पूरा प्रक्रिया पहले आओ पहले पाओ के तहत है। चूंकि बिहार सरकार ने आवेदन आमंत्रित कर दिए हैं, इसलिए जरूरी है कि आप फौरन कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर दें ताकि आपका नंबर पहले लग सके। लेकिन आवेदन के पहले आपको पंजीकरण करना होगा, जो अनिवार्य है। बिहार सरकार ने इस योजना के लिए अच्छा खासा बजट जारी किया है। इसी बजट के अंर्तगत किसानों को कृषि मशीनों पर सब्सिडी दी जाएगी। बिहार में किसान अक्सर की मौसम की मार झेलते रहे हैं। ऐसे में सरकार का यह कदम कई मायनों में शानदार है। इस योजना से छोटे व मझोल किसानों को मदद मिलेगी।
13 फसलों के जीएम बीज तैयार करने के लिए रिसर्च हुई शुरू

13 फसलों के जीएम बीज तैयार करने के लिए रिसर्च हुई शुरू

भारत सरकार लगातार देश में उत्पादन बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसके लिए सरकार तरह-तरह की परियोजनाएं लाती रहती है, जिससे किसानों को उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल सके। इन परियोजनाओं के अंतर्गत सरकार किसानों को सीधे अनुदान देने के अलावा खाद, बीज, दवाई और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी प्रदान करती है। इसके साथ ही अब सरकार ने देश भर में गुणवत्तापूर्ण फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए रिसर्च पर जोर देना शुरू कर दिया है। इसके तहत अब भारत के कृषि वैज्ञानिक जेनेटिक मॉडिफाइड यानि जीएम फसलों का विकास कर रहे हैं। फिलहाल, जीएम फसलों को लेकर देश दो धड़ों में बंटा हुआ है। एक धड़ा वो है, जो फसलों में जेनेटिकली मॉडिफिकेशन का विरोध कर रहा है। ऐसे लोग इसे नेचर के खिलाफ बता रहे हैं। वहीं दूसरा धड़ा वो है, जो जीएम फसलों को देश के लिए और लोगों के लिए सही बता रहा है और इस प्रकार की रिसर्च का समर्थन कर रहा है। हालांकि इस विरोध और समर्थन के बीच देश के संस्थानों में जेनेटिक मॉडिफाइड फसलों पर रिसर्च शुरू हो चुका है। अगर यह रिसर्च कामयाब रहती है, तो कुछ दिनों में देश के किसान जेनेटिक मॉडिफाइड फसलों की खेती करते हुए दिखाई देंगे। इन फसलों की खेती से किसानों का उत्पादन बढ़ेगा, साथ ही साथ आने वाले दिनों में किसानों की आय में भी भारी इजाफा हो सकता है।


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इन जेनेटिक मॉडिफाइड फसलों पर रिसर्च हुई है शुरू

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि देश के कृषि मंत्रालय ने अलग-अलग अनुसंधान केंद्रों को जीएम फसलों पर रिसर्च की जिम्मेदारी दी है। जहां देश के वैज्ञानिक 13 जीएम फसलों पर रिसर्च कर रहे हैं। इन फसलों में चावल, गेहूं, गन्ना, आलू, अरहर, चना और केला जैसी फसलें शामिल हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जीएम फसलों की उपज के बाद भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। फसलों का ज्यादा उत्पादन होने के कारण अनाज के लिए अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी। इसके साथ ही कृषि मंत्रालय ने कहा है कि जीएम बीजों की पैदावार से फसल की क्वालिटी सुधरेगी और उत्पादन में बंपर इजाफा होगा। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है, कि इन फसलों को जेनेटिकली मॉडिफाइड करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिक दिन रात मेहनत कर रहे हैं।

इस फसल के बीज अभी तक हो चुके हैं विकसित

अभी तक सरसों के बीजों को जेनेटिक मॉडिफाइड रूप से विकसित किया जा चुका है। इन विकसित बीजों को धारा मस्टर्ड हाईब्रिड (डीएमएच-11) बीज का नाम दिया गया है, जो सरसों के बीजों की एक हाईब्रिड प्रजाति है। इस प्रजाति को दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स ने विकसित किया है। अनुसंधान केंद्र का दावा है, कि इन बीजों का इस्तेमाल करने से भारत की दूसरे देशों पर खाद्य तेल को लेकर निर्भरता बहुत हद तक कम हो जाएगी। इस साल अक्टूबर में भारत के पर्यावरण मंत्रालय ने सरसों के जीएम बीजों का परीक्षण करने की अनुमति दी थी। आनुवंशिक रूप से संशोधित इस फसल का देश भर में परीक्षण शुरू हो चुका है। कई जगहों पर इन बीजों की बुवाई भी की गई है। जिसके शानदार परिणाम देखने को मिले हैं। आगामी 2 सालों के दौरान देश भर में जीएम सरसों का उत्पादन शुरू हो जाएगा। फिलहाल देश भर में जीएम कपास का बंपर उत्पादन हो रहा है।
नए साल पर अपनी खेती को बेहतर बनाने के लिए खरीदें आधुनिक कृषि यंत्र, ये सरकारें दे रही हैं बंपर सब्सिडी

नए साल पर अपनी खेती को बेहतर बनाने के लिए खरीदें आधुनिक कृषि यंत्र, ये सरकारें दे रही हैं बंपर सब्सिडी

भारत सरकार चाहती है, कि देश के किसान अपने खेतों में बंपर उत्पादन प्राप्त करें, जिससे उनकी आय में बढ़ोत्तरी हो पाए। इसके साथ ही अगर किसानों की बात करें तो अब किसानों ने भी आधुनिक खेती को अपनाया है। जिसमें किसान खेती-किसानी में आधुनिक तकनीक और कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन यह अभी तक सिर्फ अमीर और बड़े किसानों तक ही सीमित है। अमीर और बड़े किसानों के पास पर्याप्त संसाधन और पैसा होने के कारण वो आधुनिक तकनीक और कृषि यंत्रों को उपयोग करते हैं, लेकिन छोटे किसान अब भी इससे वंचित हैं। भारत में ट्रेंड देखा गया है, कि अब लघु-सीमांत किसानों के साथ अब छोटे किसानों की भी आधुनिक कृषि यंत्रों की तरफ रुचि बढ़ती जा रही है। आधुनिक मशीनें कम समय, कम मेहनत और कम खर्च में फसलों से ज्यादा उत्पादन हासिल करने में मदद करती हैं। इन फ़ायदों को देखते हुए कई राज्य सरकारें अपने किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र खरीदेने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इसके तहत सरकारें आधुनिक कृषि यंत्र खरीदी पर बंपर सब्सिडी दे रही हैं, जिससे किसान भाई ये आधुनिक कृषि यंत्र अपने घर में ला पाएं और खेती किसानी में इनका उपयोग कर पाएं। कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी देने के तहत बिहार और हरियाणा की राज्य सरकारें अपने किसानों को बंपर सब्सिडी दे रही हैं। इसके लिए दोनों राज्य की सरकारों ने योजनाओं को लागू कर दिया है। अगर बिहार सरकार की बात करें तो किसानों को 90 तरह के कृषि यंत्रों की खरीद पर पर 80 फीसदी तक अनुदान दिया जा रहा है। वहीं हरियाणा सरकार 55 तरह के कृषि यंत्रों की खरीद पर 50 फीसद तक का अनुदान दे रही है।

सब्सिडी प्राप्त करने के लिए बिहार के किसान ऐसे करें आवेदन

बिहार की सरकार ने कृषि यंत्रों की खरीद के लिए कृषि यंत्रीकरण योजना चलाई है, जिसके अंतर्गत सरकार 90 तरह के कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान देती है। ये कृषि यंत्र जुताई, बुवाई, निकाई, गुड़ाई, सिंचाई, कटाई आदि कार्यों के लिए खरीदे जा सकते हैं। इसके अलावा सरकार गन्ना और बागवानी फसलों की खेती के लिए कुछ कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान दे रही है।


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बिहार राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा है, कि इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान की बिहार राज्य में खेती योग्य जमीन होना अनिवार्य है। जो भी किसान इस योजना के अंतर्गत आधुनिक कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान प्रात करना चाहते हैं। वो 31 दिसम्बर 2022 के पहले बिहार राज्य के कृषि विभाग के OFMAS Portal या DBT Portal पर अपना आवेदन ऑनलाइन भर सकते हैं।

हरियाणा के किसान यहां आवेदन करके प्राप्त करें अनुदान

बिहार राज्य की तरह हरियाणा की सरकार भी कृषि यंत्रों की खरीद के लिए अपने किसानों को अनुदान प्रदान करती है। राज्य सरकार ने ऐसी 55 तरह की मशीनों का चयन किया है, जिनमें किसानों को अनुदान दिया जाएगा। ये मशीनें 1500 रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक की हो सकती हैं। जिनमें लगभग आधी कीमत की सब्सिडी दी जाती है। हरियाणा सरकार के कृषि विभाग ने अपने नोटिस में बताया है, कि कृषि यंत्र अनुदान योजना में आवेदन करने वाला किसान हरियाणा राज्य का होना चाहिए। इसके साथ ही किसान के पास खुद की खेती योग्य भूमि होना चाहिए। किसान भाई कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए बागवानी विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट https://hortnet.gov.in/StatesNewDesign/Login-har.aspx पर ऑनलाइन माध्यम से आवेदन करें। इसके अलावा इस योजना की ज्यादा जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं। साथ ही हेल्पलाइन नंबर 18001802021 पर भी फोन करके पूछताछ कर सकते हैं।

राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार भी दे रही है कृषि यंत्रों की खरीदी पर अनुदान

राज्य सरकारों के साथ-साथ अब केंद्र सरकार भी आधुनिक कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान दे रही है। ताकि किसान अपनी खेती की लागत को कम कर पाएं और उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो सके। इसके लिए केंद्र सरकार कृषि यंत्रीकरण पर उपमिशन योजना लाई है जिसके अंतर्गत अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार राज्यों के सहयोग से किसान भाइयों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 25 से 90 प्रतिशत की सब्सिडी देती है। इस योजना की ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए और आवेदन करने के लिए किसान भाई ऑफिशियल वेबसाइट https://agrimachinery.nic.in/ पर विजिट कर सकते हैं।
यह सरकार आधुनिक ट्रैक्टर की खरीदी पर दे रही है 50% तक सब्सिडी

यह सरकार आधुनिक ट्रैक्टर की खरीदी पर दे रही है 50% तक सब्सिडी

आज के समय में खेती के लिए ट्रैक्टर बेहद जरूरी मशीन है, इसके बिना अब खेती करना लगभग असंभव हो गया है। इसलिए अब हर किसान खेती में इसका उपयोग करने लगा है। ताकि खेती के काम को समय पर खत्म किया जा सके। किसानों की मशीनों पर निर्भरता को देखते हुए और बेहतर उत्पादन की उम्मीद में अब केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर किसानों को सस्ती दरों पर ट्रैक्टर और दूसरी अन्य मशीनें खरीदवा रही हैं। इसका सीधा फायदा ऐसे किसानों को होता है, जो किसान पैसे न होने के कारण आधुनिक मशीनरी नहीं खरीद पा रहे हैं। कृषि कार्यों में आधुनिक ट्रैक्टर का इस्तेमाल करने से किसान खेती की लागत को कम करने में सफल रहे हैं, इससे किसानों का मुनाफा बढ़ा है। देश में कई राज्यों की सरकारें हैं, जो अपने किसानों को अपने-अपने स्तर पर ट्रैक्टर खरीदने के लिए अनुदान देती हैं। इसी कड़ी में अगर हम हरियाणा की सरकार को देखें तो हरियाणा की सरकार ट्रैक्टर की खरीद पर 50 प्रतिशत तक का अनुदान देती है। ताकि किसान भाई खेती के लिए आसानी से ट्रैक्टर खरीद पाएं। अगर हरियाणा सरकार के नियमों की बात करें, तो ट्रैक्टर खरीदने के लिए किसान को अधिकतम 3 लाख रुपये का अनुदान मिल सकता है। हरियाणा के जिन भी किसानों को ट्रैक्टर खरीदने के लिए अनुदान लेना हो उसके लिए किसानों को 10 जनवरी 2023 के पूर्व आवेदन करना होगा। जो भी किसान आवेदन की शर्तें और पात्रता पूरी करेंगे उन्हें ट्रैक्टर खरीदने के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा।
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अगर हरियाणा सरकार की बात करें, तो 31 जनवरी 2023 तक सरकार 55 तरह के कृषि यंत्रों की खरीद पर किसानों को अनुदान दे रही है। इसी के अंतर्गत ट्रैक्टर खरीदी पर भी अनुदान दिया जाएगा। सरकार ने बताया है, कि इस बार यह अनुदान सिर्फ अनुसूचित जाति के किसानों को दिया जाएगा। सरकार के द्वारा अनुसूचित जाति के किसानों को एस.बी. 89 स्कीम के तहत 35hp का नया ट्रैक्टर खरीदवाया जाएगा।

आवेदन करने वाले किसान के लिए पात्रता व शर्तें

इस योजना के अंतर्गत मात्र अनुसूचित जाति के किसानों को ही योजना का लाभ दिया जाएगा। साथ ही, इस योजना में आवेदन करने के लिए किसान की उम्र कम से कम 18 साल होना जरूरी है। इस योजना के अंतर्गत अगर कोई किसान पहले भी लाभ ले चुका है, तो उसे दोबारा यह लाभ नहीं दिया जाएगा। अगर किसान को अनुदान देने का आदेश आता है, तो किसान भाई को 15 दिन के भीतर विभाग द्वारा अधिकृत की गई ट्रैक्टर कंपनी से ही ट्रैक्टर खरीदना होगा। इसके साथ ही ट्रैक्टर खरीदने के बाद सभी दस्तावेज और रशीदें विभाग में जमा करनी होगी। किसान सब्सिडी पर खरीदे गए ट्रैक्टर को अगले 5 साल तक नहीं बेच पाएंगे, इसकी अनुमति सरकार नहीं देगी।

सब्सिडी प्राप्त करने के लिए जमा करने होंगे ये दस्तावेज

ट्रैक्टर खरीदी पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसान भाइयों को आवेदन करते समय बैंक खाता डिटेल या बैंक पासबुक की फ़ोटो कॉपी लगानी होगी। साथ ही किसान का परमानेंट अकाउंट नंबर, पैन कार्ड, आधार कार्ड, अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र, मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण की जानकारी भी आवेदन करते समय देनी होगी। इसके साथ ही किसान को आवेदन के साथ पासपोर्ट साइज फोटो भी संलग्न करनी होगी।
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ट्रैक्टर खरीदी पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए यहां करें आवेदन

जो किसान भाई ट्रैक्टर खरीदी पर सब्सिडी प्राप्त करना चाहते हैं, वो सबसे पहले पहले मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल https://fasal.haryana.gov.in/ पर जाकर पंजीकरण करवाएं। इसके बाद किसान भाई हरियाणा सरकार के सरल पोर्टल https://saralharyana.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करते समय किसान भाई को ऊपर बताए गए सभी दस्तावेज संलग्न करना अनिवार्य है। इसके बाद लाभार्थी का चयन लॉटरी द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा किसान भाई ट्रैक्टर खरीदी पर सब्सिडी के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं। merikheti.com आपको खेती बाड़ी और सरकारी योजनाओं में हमेशा आपको सबसे पहले अपडेट देता है। चाहे वो ट्रेक्टर हो या कृषियंत्र या फिर किसानों के लिए सरकारी खबरें हों। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों न्यू हॉलैंड ट्रैक्टर, एस्कॉर्ट ट्रैक्टर, सोनालिका ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक पत्रिका प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
जाने खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए कैसे कमा रहे हैं किसान ज्यादा आमदनी

जाने खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए कैसे कमा रहे हैं किसान ज्यादा आमदनी

खेती करते हुए किसान खेती के साथ-साथ अलग-अलग तरह के व्यवसाय करते रहते हैं। ताकि उन्हें और ज्यादा आमदनी होती रहे और आर्थिक तौर पर वह मजबूत बने रहे। 

आपने खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन या फिर फूलों आदि की खेती के बारे में तो जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी खेती के साथ बिजली उत्पादन करते हुए किसानों को लाभ कमाते देखा है। 

आजकल के आधुनिक दौर में क्या कुछ मुमकिन नहीं है। इसी तरह से किसानों के लिए एक बहुत ही अच्छी पहल सरकार की तरफ से की गई है। इसमें किसान खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए लाभ कमा सकते हैं। 

इस स्कीम के तहत सबसे अच्छी बात है, कि सरकार खुद किसानों को इसके लिए प्रेरित कर रही है और अच्छी खासी मदद भी दे रही है। 

अब सौर ऊर्जा को प्रमोट करते हुए खेत में सोलर पंप से लेकर सोलर प्लांट लगवाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। जिससे कृषि कार्यों के लिए खेतों से ही बिजली मिल जाए। साथ में, बिजली कंपनियों को भी बिजली को बेचकर अतिरिक्त आमदनी हो जाए। 

उत्तर प्रदेश में भी जल्द किसानों को ऐसी ही एक योजना का लाभ मिलने वाला है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 6 जिलों में प्राइवेट डेवलपर्स यानी किसानों के साथ बिजली को खरीदने के लिए एक समझौता किया है। 

इस एग्रीमेंट का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है और यह पीएम कुसुम योजना के तहत लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत 7 मेगावाट सोलर पावर जेनरेशन प्रोजेक्ट को गति देने के लिए किया गया है।

कैसे होगी किसानों की आमदनी

अगर किसानों की भूमि बंजर और अनुपयोगी है, तो उत्तर प्रदेश के किसान अपनी भूमि पर सोलर पावर प्लांट लगवा सकते हैं। 

यह सोलर पावर प्लांट लगवाने के लिए किसानों को तमाम तरह के बैंक और वित्तीय संस्थाएं पूरी तरह से मदद करेंगे। इसके अलावा इस योजना के तहत आप सरकार से सब्सिडी भी ले सकते हैं। ताकि आपको शुरुआती समय में ज्यादा खर्च ना करना पड़े।

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इतना ही नहीं, किसान अपने खेतों में लगे सोलर प्लांट से बिजली का उत्पादन लेकर ना सिर्फ कृषि कार्यों को बिना किसी खर्च में पूरा कर सकते हैं। बल्कि प्राइवेट बिजली कंपनियों को बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकते हैं। 

फिलहाल, सौर बिजली उत्पादन की सुविधा यूपी के बिजनौर, हाथरस, महोबा, जालौन, देवरिया और लखनऊ में दी जाएगी।

कितना होगा बिजली उत्पादन

यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम. देवराज ने बताया है, कि बिजनौर के विलासपुर गांव में 1.5 मेगावाट का सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र बनाया जाएगा। हाथरस के मौहारी गांव में 0.5 मेगावाट और देवगांव के गांव में 1 मेगावाट की सुविधा दी जाएगी।

महोबा और जालौन के खुकसिस गांव में 1 मेगावाट और बरियार गांव में 1 मेगावाट की सुविधा वाला सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र बनाने का प्लान है। यहां पर किसानों को दो तरह के विकल्प दिए गए हैं। 

पहला या तो वह डीजल से चलने वाले सिंचाई पंप को सोलर एनर्जी सिंचाई पंप में अपग्रेड करवा सकते हैं या फिर अपने खेत में सोलर प्लांट लगवाने की व्यवस्था कर सकते हैं। 

कमाई की बात की जाए, तो इस तरह से लगे हुए सोलर पावर प्लांट से किसान सालाना लगभग 80,000 रुपये तक कमा सकते हैं। 

इस योजना के तहत सरकार की तरफ से किसानों को सोलर पंप की लागत पर 90 फीसदी सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाएगी।

क्या है पीएम कुसुम योजना

पीएम कुसुम योजना के तहत 1 मेगावाट का सोलर प्लांट लगवाने के लिए लगभग 5 एकड़ जमीन की जरूरत होती है। वहीं पर अगर आप 0.2 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना चाहते हैं, तो यह केवल 1 एकड़ जमीन में भी किया जा सकता है। 

इस योजना के तहत किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह है, कि उन्हें स्वयं भी किसी तरह की बिजली से जुड़ी हुई समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा। 

साथ ही, वह बनने वाली एक्स्ट्रा बिजली को बेचकर ज्यादा आमदनी भी कमा सकते हैं। जिससे उनके आर्थिक हालात सुधारने में बेहद मदद मिलेगी।

इस राज्य में 50 प्रतिशत अनुदान पर मिल रहे ट्रैक्टर जल्द आवेदन करें

इस राज्य में 50 प्रतिशत अनुदान पर मिल रहे ट्रैक्टर जल्द आवेदन करें

हरियाणा राज्य सरकार किसानों के लिए अहम कार्य कर रही है। प्रदेश में किसानों को 50 % अनुदान पर ट्रैक्टर उपलब्ध करा रही है। जिसका लाभ लेने के लिए किसानों को 20 जनवरी तक ड्रा रजिस्ट्रेशन हेतु https://agriharyana.gov.in/ पर ऑनलाइन 10,000 रुपये का शुल्क जमा कराना होगा। आजकल कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण एवं आधुनिक तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। क्योंकि अधिकांश खेती किसानी से जुड़े कामों में किसानों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और समय भी अधिक लगता है। मशीनों के उपयोग से इन दोनों समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है। दरअसल ,मशीनों के प्रयोग से समय और मेहनत दोनों की बचत होती है। सरकार ने इसी बात को ध्यान में रखकर ट्रैक्टरों पर अनुदान देने की पहल की है। इसकी मुख्य वजह यह है कि अधिकांश कृषि यंत्र ट्रैक्टर के माध्यम से संचालित किये जाते हैं। साथ ही, ट्रैक्टर की मदद से किसान कृषि कार्यों सहित के उत्पादन को बाजार में ले जाने के लिए भी मदद मिलेगी।


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ट्रैक्टर का मूल्य काफी महंगा होने की वजह से हर किसान इसको खरीदने के लिए सक्षम नहीं होता है। हालाँकि, किसान हित में चलाई गई योजनाओं ने इस कार्य को काफी सुगम बना दिया है। केंद्र सरकार द्वारा जारी विभिन्न योजनाओं के तहत ट्रैक्टर खरीदने हेतु कर्ज एवं अनुदान की सुविधा प्रदान की जाती है। इसी क्रम में फिलहाल हरियाणा सरकार व अन्य राज्य सरकारों द्वारा भी किसानों को ट्रैक्टर खरीदने हेतु सहायता की जा रही है। हरियाणा सरकार किसानों को 50% अनुदान की सहायता करके किसानों को ट्रैक्टर मुहैय्या करा रही है।

हरियाणा सरकार अनुदान पर उपलब्ध करा रही ट्रै्क्टर

आपको बतादें कि हरियाणा कृषि विभाग की तरफ से पानीपत जनपद के कृषकों को 30 ट्रैक्टर सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ट्रैक्टर पर दिए जा रहे अनुदान की अधिकतम राशि 3 लाख रुपये मतलब 50% फीसद तय की गई है। जो भी किसान अनुदान पर ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं, तो वह 20 जनवरी तक अपना ड्रॉ पंजीयन सुनिश्चित कर लें। इसी संदर्भ में जिला उपायुक्त ललित सिवाच का कहना है, कि प्रमाणित किसानों हेतु ड्रॉ रजिस्ट्रेशन का शुल्क 10,000 रुपये तय किया गया है। जिसे https://agriharyana.gov.in/ पर ऑनलाइन तौर पर जमा कराना होगा। यदि किसानों के द्वारा आवेदन करने के उपरांत इस शुल्क को पोर्टल के जरिए से जमा नहीं करवाया, ऐसी स्थिति में उनका आवेदन रोक लिया जाएगा। साथ ही, जो किसान शुल्क जमा कर देंगे, उनका ऑनलाइन ड्रॉ के माध्यम से जिला स्तर की समिति चयन करेगी।

किसान इस योजना का कैसे फायदा उठा सकते हैं

इस योजना के सन्दर्भ में हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सहायक अभियंता का कहना है, कि चयन के बाद किसान को अनुमोदित निर्माता अथवा डीलर से स्वयं की रुचिनुसार ट्रैक्टर के मॉडल की खरीद लें। उसके बाद अनुदान की निर्धारित धनराशि के अतिरिक्त शेष लागत अनुमोदित वितरक के खाते में ई-वाउचर सहित जमा करानी होगी। इसी मध्य निर्माता वितरक को भी किसान की विस्तृत जानकारी, बैंक का विवरण, ट्रैक्टर का मॉडल, कीमत का निदेशालय के पोर्टल या ई-मेल के माध्यम से सब्सिडी ई-वाउचर हेतु आवेदन करना होगा।

अनुदान का लाभ लेने के लिए निर्धारित शुल्क की अंतिम तिथि

हरियाणा सरकार द्वारा ट्रैक्टर पर 50% अनुदान पाने हेतु 16 जनवरी तक शुल्क जमा करने का निर्देश दिया गया हैं। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा कृषकों हेतु 55 प्रकार के कृषि यंत्रों पर सब्सिडी मुहैय्या कराई जा रही है। आपको यह भी बतादें, कि इस योजना का फायदा केवल अनुसूचित जाति के कृषकों को ही मिल पाएगा। जो एस.बी. 89 योजना के तहत 35hp मॉडल के ट्रैक्टर हेतु तय नियम व पात्रता के अनुरूप आवेदन किया जा सकता है।
इस राज्य में कृषकों के लिए 110 तरह के कृषि यंत्रों पर मिल रही बंपर सब्सिड़ी

इस राज्य में कृषकों के लिए 110 तरह के कृषि यंत्रों पर मिल रही बंपर सब्सिड़ी

कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले अनुदान के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 10 अक्टूबर, 2023 से शुरू कर दी जाएगी। इस दौरान बिहार राज्य के किसान पंजीकरण कर 110 तरह के कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। खेती-किसानी में मशीनीकरण के आने के उपरांत किसानों की स्थिति में निरंतर बदलाव देखने को मिल रहे हैं। कृषि कंपनियों के माध्यम से भी किसानों की सुविधा को मद्देनजर रखते हुए नवीन-नवीन मशीनों का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही, भारत सरकार की तरफ से भी कृषि उपकरणों को खरीदने के लिए वक्त-वक्त पर योजनाएं भी जारी की जाती हैं। इसी कड़ी में बिहार सरकार ने प्रदेश के लघु किसानों को कृषि उपकरणों का फायदा उपलब्ध कराने के लिए कृषि यांत्रिकरण योजना की शुरुआत की है।

कृषि यंत्रो पर 40 से लेकर 80 प्रतिशत तक अनुदान

इस योजना के अंतर्गत राज्य के किसानों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए 40 से 80 प्रतिशत तक अनुदान की सुविधा मुहैय्या कराई जाती है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि सरकार की इस योजना के लिए प्रति वर्ष किसानों के आवेदन मांगे जाते हैं। साथ ही, बिहार सरकार ने कृषि यांत्रिकरण योजना को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है। बतादें, कि 10 अक्टूबर, 2023 से बिहार राज्य के कृषकों के लिए कृषि यांत्रिकरण योजना में पंजीकरण की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी।

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बिहार सरकार की तरफ से 110 कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है

कृषि यांत्रिकरण योजना में बिहार के किसानों को समकुल 110 तरह के बेहतरीन कृषि यंत्रों पर सब्सिड़ी प्रदान की जाती है। खेती-किसानी के ये उपकरण खेती से जुड़े तकरीबन प्रत्येक कार्य को सुगम बनाने में संभव हैं। जैसे कि- खेत की जुताई, बुवाई, निराई-गुड़ाई, सिंचाई, कटाई एवं बाकी बहुत सारे कार्यों को मिनटों में पूर्ण कर सकते हैं। बतादें, कि इन कृषि मशीनों के लिए बिहार सरकार ने वर्ष 2023-24 में लगभग 119 करोड़ रुपये की लागत का प्लान तैयार किया है।

पंजीकरण की प्रक्रिया 10 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी

बिहार राज्य के किसान कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत लाभ उठाना चाहते हैं, तो वह 10 अक्टूबर, 2023 से कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान पाने के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया को पूर्ण कर दें। दरअसल, पंजीकरण की यह प्रक्रिया 1 महीने मतलब कि 10 नवंबर, 2023 तक जारी रहेगी। इस दौरान इच्छुक किसान भाई इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।

योजना के लिए बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज

  • आधार कार्ड
  • बैंक पासबुक
  • मोबाइल नंबर
  • ईमेल आईडी
  • कृषि यांत्रिकरण योजना में पंजीकरण की प्रक्रिया
  • इस योजना का फायदा पाने हेतु इच्छुक कृषकों को बिहार कृषि विभाग पोर्टल की अधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
  • वेबसाइट पर जाने के बाद आपको होम पेज के कृषि यांत्रिकरण योजना विकल्प पर क्लिक करना है। फिर आपको कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत पंजीकरण की प्रक्रिया को पूर्ण करना है।